पतझड़ के बाद नई जान आई, गर्मी से पहले सजने-संवरने लगे हैं पेड़, अब उम्मीद- इस महामारी को हराकर फिर से दमकने लगेगा जयपुर

जयपुर में रंगोली के पास बरगद के पेड़ की एक ही डाल पर बैठे 3 प्रजाति के उल्लू। तस्वीर पक्षी विशेषज्ञ नवीन सिंह ने उतारी। यह पेड़ अब वहां से जड़ समेत उखाड़ दिया गया है।



जयपुर. (ईशमधु तलवार) कोरोना काल के सन्नाटेदार मौसम में गुलाबी नगर के दरख्तों ने आने वाली गर्मियों का स्वागत करने की तैयारी कर ली है। गर्मी से पहले दरख्तों ने नए रंगों में सजना-संवरना शुरू कर दिया है, जैसे वे अपने वस्त्र बदल रहे हों। पतझड़ के बाद पेड़ों में अब एक नई जान आई है।


 
दरअसल, जैसे हम बरसात से पहले छाता-बरसाती या सर्दी से पहले गर्म कपड़ों का इंतजाम करते हैं, ठीक ऐसे ही पेड़ इन दिनों आने वाली गर्मी को सहने की तैयारी में जुटे हैं। यह प्रकृति का जादुई अंदाज है। यह ऐसा वक़्त है, जब चारों ओर शांति पसरी है। बाग-बगीचे सूने पड़े हैं और परिंदे बेख़ौफ़ परवाज़ कर रहे हैं, स्वच्छन्दता से दरख्तों पर जाकर बैठ रहे हैं। ऐसे में गुलाबी नगर के पेड़ों को अब एक नई नज़र से देखा जा सकता है।



चारदीवारी वाले शहर में चांदपोल, चौड़ा रास्ता आदि में बड़ और पीपल के कई बड़े पेड़ हैं। इन सभी के पत्ते झड़ चुके हैं और नए चमकीले पत्तों ने शाखों पर अपनी जगह बना ली है। नीम एक ऐसा पेड़ है जो जयपुर के सभी हिस्सों में देखने को मिल जाता है। नीम के पत्ते भी उखड़कर जा चुके हैं और अब नई पत्तियां तेजी से बाहर निकल रही हैं। 



शहर में सेमल के सुर्ख़ लाल फूलों ने नीचे गिरकर जमीन पर लाल चादर बिछा दी है। जयपुर में सेमल के केवल 130 पेड़ बचे हैं। इन पेड़ों की गिनती पर्यावरण विशेषज्ञ हर्षवर्धन शर्मा ने की है। इसके लिए उनमें  ऐसा जुनून है कि जहां भी सेमल का पेड़ दिख जाता है, वे रुक जाते हैं और फूल उठाकर सूंघते हैं। उनके अनुसार सेमल के 5 पेड़ राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में हैं, तीन पेड़ ओटीएस में, 4 पेड़ जवाहर सर्किल पर, तीन सेंट्रल पार्क में, दो पेड़ सी स्कीम में महावीर स्कूल के पास, दो पेड़ कलेक्ट्रेट से मिलिट्री कैंटीन जाने वाले रास्ते पर और इसी मार्ग पर स्थित जस्टिस विनोद शंकर दवे के अपार्टमेंट के पीछे भी दो पेड़ हैं।



जयपुर में बनीपार्क, वैशाली नगर आदि कई हिस्सों में कैर के पेड़ दिख जाएंगे। कैर ने फूल देना अभी बंद ही किया है। इसका अचार भी बनता है। पूरे शुष्क क्षेत्र में घास की नई पत्तियां आ रही हैं। गुलमोहर जयपुर में खूब है। वह पूरी तरह हरा हो चुका है और इसकी छोटी पत्तियां उग आई हैं। इनसे तने पर एक मुकुट जैसा आकार बन गया है। अमलतास के स्वर्णिम फूल अब खिलने ही वाले हैं। तब ये पेड़ सुनहरी आग की लपटों की तरह दहकते हुए दिखेंगे। 



जयपुर में प्रकृति प्रेमियों के लिए एक नई खबर आई थी, लेकिन वो अब दफ़न हो चुकी है। जयपुर में जर्मनी बैंक में काम करने वाले पर्यावरण विशेषज्ञ नवीन सिंह ने पिछले दिनों रंगोली के पास मीना वाला-पांच्या वाला इलाके में महाराणा प्रताप रोड पर बरगद के एक पेड़ पर एक साथ 25 प्रजातियों के पक्षी देखे थे। एक ही पेड़ पर इतने पक्षियों का जमा होना अद्‌‌भुत घटना थी। इसमें तीन तरह के तो उल्लू ही थे। इनमें स्पॉटेड आउल प्रजाति के दो उल्लू थे, जिन्हें हम कोचरी भी कहते हैं। बार्न आउल-एक और इंडियन स्कॉप आउल प्रजाति के तीन उल्लू थे। नवीन सिंह ने इनकी तस्वीर उतारी। जयपुर के लिए यह अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है, लेकिन यह पेड़ अब एक कॉलोनाइजर ने काट दिया है। नवीन सिंह दुखी होकर कहते हैं- ‘मुझे संदेह तो उसी समय हो गया था, जब एक कॉलोनी काटने वाले ने वहां सीमेंट, कंकर और बजरी डालकर उस जगह का हुलिया बिगाड़ दिया था। कोई 50 साल पुराना यह बड़ का पेड़ प्रकृति का एक अनुपम तोहफा था, जिसे अब वहां से जड़ समेत उखाड़ा जा चुका है। 



प्रकृति को नष्ट करने का अंजाम हम बार-बार देखते हैं, लेकिन कुछ सीखते नहीं। इसीलिए विशाल दरख़्त कंक्रीट में बदल गया।
यह पेड़ों के पुराने पत्ते गिरने और नए पत्ते आने का समय है। यह प्रकृति का नियम है। इस कोरोना काल में हरबंस सिंह अक्स फ़िरोज़पुरी के ये शे’र मौजूं नजर आते हैं-
इश्क में फूल अगर सूख गया है कुछ तो।
रंग तितली के परों का भी उड़ा है कुछ तो।
ये अलग बात कि आखिर में गिरा है पत्ता
शाख पे रहते हवाओं से लड़ा है कुछ तो।